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खेती-किसानी

कड़कनाथ मुर्गी पालन कैसे करें?

भारत जैसे कृषि प्रधान देश में मुर्गी पालन काफी लोकप्रिय हो रहा है, किसान पोल्ट्री फार्म  खोलकर अंडा-मांस का उत्पादन करके अच्छी कमाई कर रहे हैं। जरूरी नहीं कि आप बड़े स्तर पर मुर्गी पालन शुरू करें, छोटे लेवल पर अपने घरों के बैकयार्ड में कड़कनाथ मुर्गा पालन  शुरू कर सकते हैं।

कड़कनाथ मुर्गे  की खासियत 

कड़कनाथ पोल्ट्री फार्मिंग बिजनेस | Kadaknath murgi palan in hindi - The  Rural India

कड़कनाथ, जैसा कि नाम से ही साफ है कि मुर्गे की यह नस्ल अपने रंग, रूप और खून से लेकर मांस तक काले रंग की होती है। हालांकि इस नस्ल में गजब की रोग प्रतिरोधी यानी बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी होती है, जिस पर किसी भी मौसम के बदलाव का कोई असर नहीं पड़ता। इसी वजह से बाजार में कड़कनाथ मुर्गे का अंडा और मांस आम मुर्गे के मुकाबले दोगुना कीमत तक बिकता है। जानकारी के लिए बता दें कि कड़कनाथ देसी नस्ल का मुर्गा है जो मध्य प्रदेश के पश्चिमी हिस्सों, खासकर झाबुआ और धार जिलों में सबसे ज्यादा पाया जाता है। 

फिलहाल दक्षिण भारत के किसानों ने कड़कनाथ मुर्गे की अहमियत को बखूबी समझ लिया है। यही कारण है कि केरल के कृषि विज्ञान केंद्रों ने देसी मुर्गी के साथ-साथ अब कड़कनाथ के शुद्ध मांस का बिक्री काउंटर भी शुरू कर दिया है। कड़कनाथ की खूबियों के बारे में बताएं तो इसके मांस में वसा की मात्रा सिर्फ 2.9 फीसदी होती है और इसके 100 ग्राम मीट में कोलेस्ट्रॉल भी महज 59 मिलीग्राम होता है। लेकिन अगर पोषण की बात करें तो इसमें प्रोटीन की मात्रा 20-24 फीसदी तक पाई जाती है और लौह तत्व, कैल्शियम, विटामिन-बी और विटामिन-सी जैसे जरूरी पोषक तत्व तो भरपूर मात्रा में होते हैं।

बेहद आसान है कड़कनाथ पालन 

किसान भाइयों के लिए फायदे की बात तो ये है कि कड़कनाथ मुर्गा पालने के लिए ज्यादा जद्दोजहद करने की कोई जरूरत नहीं होती। किसान चाहें तो खाली स्थान पर सिर्फ एक शेड डालकर या अपने घर के खाली स्थान या बैकवर्ड (घर के पीछे खाली जगह) में इसका पालन कर सकते हैं। बस कड़कनाथ को जैविक आहार खिलाएं, मुर्गों का समय पर टीकाकरण करवाएं और आस-पास साफ सफाई का खास ख्याल रखें। फायदे की बात करें तो आप कड़कनाथ द्वारा छोड़े गये अपशिष्ट पदार्थ को अपनी खेती में जैविक खाद के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं, इससे ना सिर्फ फसल अच्छी क्वालिटी की होगी बल्कि मुर्गी पालन इकाई में भी साफ-सफाई बनी रहेगी। अगर आप भी कड़कनाथ मुर्गा पालन शुरू करना चाहते हैं, तो ज्यादा जानकारी के लिये अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से भी संपर्क कर सकते हैं।

कड़कनाथ मुर्गी पालन में कांट्रेक्ट फार्मिंग मददगार

बहुत ही कम लोग जानते हैं कि भारत सरकार द्वारा जारी कांट्रेक्ट फार्मिंग कानून के तहत आप किसी रजिस्टर्ड कंपनी के जरिए भी कड़कनाथ पालन शुरू कर सकते हैं। लेकिन किसी भी कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन करते समय याद रखें कि कंपनी विश्वसनीय हो और इसका पुराना रिकॉर्ड अच्छा हो। बस फिर कॉन्ट्रैक्ट साइन करने के बाद कंपनी आपको ना सिर्फ कड़कनाथ मुर्गे देती है बल्कि इसकी इकाई लगाने से लेकर मुर्गों की देखभाल तक का लगभग सारा शुरुआती खर्च खुद उठाती है। इसमें आपको सिर्फ खाली जगत का बंदोबस्त करना है, बस उसके बाद मुर्गियों के लिये शेड, टीकाकरण, ऑर्गेनिक खाना, बर्तन और यहां तक की मुर्गों की साफ-सफाई के लिये भी सारा सामान कंपनी ही उपलब्ध करवायेगी। हालांकि कांट्रेक्ट के तहत आपको सिर्फ एक निश्चित धनराशि कंपनी को देनी होगी और आपके इस काम में सारा रिस्क कंपनी ही उठायेगी। इतना ही नहीं, कांट्रेक्ट फार्मिंग के तहत कंपनियां आपकी कड़कनाथ इकाई की निगरानी के लिए विशेषज्ञ और चिकित्सकों का भी इंतजाम करती है। खासकर कड़कनाथ की वैरायटी और उसकी ग्रोथ पर भी कंपनी का खास ध्यान रहता है।कई किसानों को कड़कनाथ पालन के दौरान इसके बाजार और कमाई की भी चिंता रहती है, लेकिन कांट्रेक्ट फार्मिंग से जुड़ी कंपनियां इसकी बिक्री का भी पूरा ख्याल रखती है। कांट्रेक्ट फार्मिंग से जुड़ी कंपनी पोल्ट्री शुरू करवाने के साथ-साथ कॉन्ट्रैक्ट से जुड़े किसानों से कड़कनाथ के अंडे और मांस तो खरीदता ही है, साथ ही किसानों को इसका उचित दाम भी दिलाती है।अब तो आप समझ ही गये होंगे कि कड़कनाथ पालना मुश्किल काम नहीं है बल्कि कमाई का काम है, जो आपकी रत्ती भर कमाई को दिन दोगुनी और रात चौगुनी बढ़ा सकता है। साफ है कि खेती-किसानी के साथ-साथ कड़कनाथ मुर्गा पालन कमाई और लाभ का जरिया है।

 

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