भगवान शिव के अनेक रूप में हैं, उन्हीं में से एक काल भैरव का स्वरूप है। काल भैरव को भगवान शिव का उग्र स्वरूप माना जाता है। भैरव का अर्थ होता है भय को हरने वाला। उनका ये रूप काल का स्वामी और सदैव रौद्र रूप में होता है। शिव पुराण के मुताबिक, काल भैरव की उत्पत्ति ब्रह्मा, विष्णु और शिव में श्रेष्ठता को लेकर हुए विवाद के बाद हुई थी। काल भैरव को दंड का पाणी भी कहते हैं क्योंकि वह पापियों को दंड देते हैं। मान्यता है कि एक बार भगवान काल भैरव ने ब्रह्मा के पांचवे सिर को काट दिया, जिससे उन पर ब्रह्म हत्या का दोष लगा। इस दोष से मुक्ति पाने के लिए काल भैरव ने त्रिलोक का भ्रमण किया और काशी पहुंचे तब जाकर ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त हुए।
काल भैरव मंदिर, उज्जैन
मध्य प्रदेश के उज्जैन में भगवान शिव का एक प्राचीन और प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है, जिसका नाम महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है। इस स्थान पर भगवान शिव काल भैरव स्वरूप में भी विराजते हैं। उज्जैन में स्थित काल भैरव मंदिर को राजा भद्रसेन ने शिप्रा नदी के किनारे बनवाया था। अष्ट भैरव में यह प्रमुख काल भैरव मंदिर है। इन्हें “काशी का कोतवाल” भी कहा जाता है। मान्यता है कि बिना इनकी अनुमति के कोई काशी में रह नहीं सकता। इसलिए काशी विश्वनाथ के दर्शन से पहले काल भैरव के दर्शन करने इस मंदिर में भक्त जाते हैं और काशी के कोतवाल की अनुमति लेते हैं।
आनंद भैरव मंदिर
काल भैरव का ये मंदिर हरिद्वार में स्थित है। इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं। मान्यता है कि आनंद भैरव हरिद्वार के कोतवाल हैं। यहां श्रद्धालु आकर अपनी परेशानियां बताते हैं और आनंद भैरव भक्तों की सभी बाधाओं को दूर करते हैं। मंदिर अनादि काल से है। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू है। कहा जाता है कि भगवान शिव का सबसे आनंदमयी रूप आनंद भैरव है।
बाजनामठ भैरव मंदिर, जबलपुर
मध्य प्रदेश के जबलपुर में बाजना मठ मंदिर के पास महाकाल भैरव का एक ऐसा मंदिर स्थापित है जहां पर होने वाले हवन की अग्नि में कई देवी देवताओं को आकृति दिखाई देती है। जबलपुर का बाजनामठ भैरव मंदिर तंत्र साधना के लिए जाना जाता है। कहते हैं कि गोंडवाना काल के दौरान रानी दुर्गावती द्वारा मंदिर में प्रतिमा की स्थापना की गई थी। मंदिर के पुजारी के मुताबिक, मंदिर परिसर में महाकाल भैरव के हवन के दौरान जिस भी देवता के नाम की आहुति दी जाती है, अग्नि में उस देवता की आकृति उभर कर दिखाई देती है। मान्यता ये भी है कि मंदिर में 24 घंटे में महाकाल भैरव 52 रूप बदलते हैं।
राजा बटुक भैरव
लखनऊ के केसर बाग में राजा बटुक भैरव मंदिर स्थित है। मंदिर का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। यहां इन्हें सुरों का राजा भी कहा जाता है। यहां मांगी जाने वाली मन्नत भी कला, संगीत और साधना से जुड़ी होती हैं। शिव के पांचवे अवतार माने जाने वाले बटुक बाबा के यह मंदिर कला साधना का वर्षों पुराना केंद्र है।