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उद्योग,निवेश और रोजगार की स्वर्ण गाथा रचते मोहन

लेखक-सत्येंद्र जैन,स्तंभकार

भोपाल में ग्लोबल इन्वेस्टर सम्मिट सफलता पूर्वक संपन्न हुई है। आठ विश्व स्तरीय औद्योगिक सम्मेलन में राजधानी भोपाल में सफलतापूर्वक संपन्न हुई यह पहली ग्लोबल इनवेस्टर मीट है।यह विक्रमादित्य सम पुरूषार्थी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की प्रबल इच्छा शक्ति,दूर दृष्टि और आत्म बल का परिणाम है।उन्होंने राजधानी भोपाल में इनवेस्टर सम्मेलन आयोजित करने का नवाचार किया है।भोपाल में अंतरराष्ट्रीय स्तर के आयोजनों को सम्पन्न करने हेतु विशाल कन्वेंशन सेंटर निर्माण का संकल्प भी लिया है।राजधानी भोपाल में ग्लोबल इनवेस्टर समिट के सफल आयोजन हेतु भागीरथी, पुरूषार्थी मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को साधुवाद है।

जीआईएस में सरकार को 30 लाख 77 हजार करोड़ रुपए से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। विभिन्न एमओयू साइन किये गये हैं। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 100 से अधिक एक्सपटर्स और उद्योगपतियों सहित करीब 25000 से अधिक प्रतिभागियों ने सहभागिता की। इसमें 60 से अधिक देशों के निवेशक डेलीगेट भोपाल आए। जीआईएस में लगभग 5000 बिजनेस-टू-बिजनेस और 600 बिजनेस-टू-गर्वनमेंट मीटिंग्स आयोजित हुई।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह सहित दस केंद्रीय मंत्री गणों ने इस ग्लोबल इनवेस्टर मीट में भागीदारी की।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टेक्सटाइल,टूरिज्म और टेक्नोलॉजी सेक्टर पर फोकस करने का मंत्र मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की सरकार और उद्यमी मित्रों को दिया है। 78000 करोड़ रुपए के इन्वेस्टमेंट प्रपोजल टेक्नोलॉजी सेक्टर में प्राप्त हुए हैं।मध्यप्रदेश में टूरिज्म की अपार संभावनाएँ हैं। टूरिज्म क्षेत्र में 65000 करोड़ रुपए के इन्वेस्टमेंट प्रपोजल प्राप्त हुए हैं। टेक्सटाइल सेक्टर में मध्यप्रदेश को केंद्र की ओर से धार में एक टेक्सटाइल प्रोजेक्ट मिला है।नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में 5.72 लाख करोड़ रुपए,ऊर्जा क्षेत्र में 1.47 लाख करोड़ रुपए,उद्योग विभाग में 8.61 लाख करोड़ रुपए, खनिज क्षेत्र में 3.22 लाख करोड़ रुपए,नगरीय विकास विभाग में 1.97 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।पिछली सभी रीजनल इंडस्ट्रियल कानक्लेव,रोड शो और माइनिंग कानक्लेव और इस जीआईएस के सभी प्रस्ताव का कुल योग तीस लाख सतहत्तर हजार करोड़ रुपए है।इनमें 17.34 लाख रोजगार सृजित होंगे।


मध्य प्रदेश की औद्योगिक विकास दर लगभग 24 प्रतिशत है।अगले पाँच वर्षों में राज्य की सकल घरेलू उत्पाद में उद्योग का योगदान 2.9 लाख करोड़ रुपए से दुगुना बढ़ाकर 6 लाख करोड़ रुपए करने का लक्ष्य मोहन सरकार ने लिया है।

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने उद्योग क्षेत्र में पहला नवाचार क्षेत्रीय स्तर पर रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव (आरआईसी) का आरंभ कर किया।इस नवाचार से संभाग स्तर पर औद्योगीकरण और निवेश को और अधिक प्रोत्साहन दिया गया। इससे मध्य प्रदेश का सर्व समावेशी विकास होगा।स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलने से पलायन में कमी होगी।क्षेत्रीय असंतुलन कम होगा।आरआईसी के बहुत अच्छे परिणाम और अनुभव का प्रतिफल जीआईएस की सफलता में स्पष्ट रूप से झलक रहा है।

मध्यप्रदेश को आगे बढ़ाने और निवेशकों का हौसला बढ़ाने के लिए निवेश नीतियों में कई बदलाव किए हैं।18 नई निवेश नीतियों की उद्योग जगत ने सराहना की है।इनमें निवेश मूल्य के 52 प्रतिशत की आर्थिक सहायता सब्सिडी देने का संकल्प मोहन सरकार ने लिया है।मध्य प्रदेश के नागरिक भी उद्यम स्थापित कर इन नवीन 18 नीतियों से लाभ प्राप्त करेंगे।मोहन यादव सरकार ने वर्ष-2025 को उद्योग एवं रोजगार वर्ष घोषित किया है। मोहन सरकार ने एक नया उद्योग अधिनियम ‘उद्योग की कल्पना एवं परिसंचालन’ बनाया है।यह मोहन सरकार का एक क्रांतिकारी कदम है,नवाचार है।अनेक राज्यों की तुलना में मध्य प्रदेश का इन्वेस्टमेंट पोर्टल यूजर फ्रेंडली है।डेलिगेट्स ने इसकी तारीफ की है। इसे और यूजर फ्रेंडली बनाया जा रहा है। जैसे ही कोई इन्वेस्टर मध्य प्रदेश में आता है,शासन के अधिकारी इनवेस्टर को बार बार संपर्क करेंगे कि कैसे वह निवेश लक्ष्य तक पहुंचे और उनकी निवेश यात्रा में सहयोगी बनें।रचनाधर्मी और नवाचारी गुणों से परिपूर्ण मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव सरकार ने ग्लोबल इन्वेस्टर सबमिट के लोगों को भी नया रूप दिया गया है।गणित अंक अनंत, इनफिनिटी से उद्धृत है।उद्योग,निवेश और रोजगार की अपार संभावनाओं वाले प्रदेश के रूप में अत्यधिक आकर्षक बनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प आत्मनिर्भर भारत और वर्ष 2047 के विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने में मध्य प्रदेश महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।आगामी समय में मध्य प्रदेश देश के प्रथम पाँच शीर्ष राज्यों में सम्मिलित होगा। सम्राट विक्रमादित्य सम यशस्वी,प्रतापी मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और उनके मंत्रीगण मध्य प्रदेश में उद्योग, निवेश और रोजगार की स्वर्ण गाथा को रच रहे हैं।

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