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हिन्दू मन्दिरों ने पर्यटन के पंख लगाये

र व्यक्ति को अपने जीवन में कुछ समय ऐसा जरूर निकालना चाहिए जिसमें खुशी, शांति, आस्था, धार्मिकता एवं प्रसन्नता के पल जीवंत हो सके, इसका सशक्त माध्यम है पर्यटन। जीवन में पर्यटन के सर्वाधिक महत्व के कारण ही हर साल 25 जनवरी को भारतीय पर्यटन दिवस मनाया जाता है। भारत की विविधता, धार्मिकता, ऐतिहासिकता और बहुसंस्कृतिवाद के कारण, यह दिन देश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव, जीवन में खुशियां, आस्था एवं मुस्कान देने वाले पर्यटन के महत्व को उजागर करने के लिए है। भारत में कई धार्मिक स्थल हैं, जो देश-विदेश के पर्यटकों के आस्था का केंद्र है। जहां हजारों-लाखों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं और मंदिरों की भव्यता देख दीवाने हो जाते हैं, अपूर्व शांति एवं धार्मिकता का अनुभव करते हैं। भारत की परंपरा, आस्था, धर्म और संस्कृति की अलग ही पहचान है। यहां ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों की भरमार है। भारत को दुनिया में सबसे ज्यादा धार्मिक स्थलों का देश कहा जाता है। एक अनुमान के अनुसार, देशभर में पांच हजार से अधिक सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं। अब उनमें एक और स्थान जुड़ गया- अयोध्याधाम। काशी, प्रयागराज और अयोध्या धाम धार्मिक पर्यटन के सबसे बड़े स्वर्ण त्रिकोण (गोल्डन ट्रायंगल) में शामिल हो गये हैं, अयोध्या में श्रीराम मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहले ही दिन पांच लाख लोगों ने दर्शन किये, वैसे सामान्य तौर पर अनुमान है कि यहां एक से डेढ़ लाख लोगों के आने की संभावना है। साल भर में संख्या 10 करोड़ को पार कर सकती है। भारत के हिन्दू मन्दिरों ने पर्यटन को पंख लगा दिये हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या में प्रभु श्रीराम मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा एवं काशी की कायाकल्प करके दुनियाभर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित किया है। धर्म और अध्यात्म भारत की आत्मा है। यह धर्म ही है, जो भारत को उत्तर से दक्षिण तक और पूरब से पश्चिम तक एकात्मता के सूत्र में बांधता है। भारत की सभ्यता और संस्कृति का अध्ययन करते हैं तो हमें साफ दिखायी देता है कि धार्मिक पर्यटन हमारी परंपरा में रचा-बसा है। तीर्थाटन के लिए हमारे पुरखों ने पैदल ही इस देश को नापा है। भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में आंध्रप्रदेश का तिरुपति भी एक है, यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर में आए पर्यटक मंदिर की दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्पकला को देख दीवाने हो जाते हैं। मान्यता है कि, यहां आने के बाद व्यक्ति को जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। ओडिशा के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर हिंदुओं के चार धाम में से एक माना जाता है। यहां हर साल जून में होने वाला रथ यात्रा उत्सव विश्व प्रसिद्ध है, जिसमें भारत समेत विदेशों से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं। सपनों की माया नगरी कहे जाने वाले मुंबई में स्थित सिद्धिविनायक मंदिर में भगवान गणेश के दर्शन के बिना कोई भी पर्यटक नहीं लौटता।

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