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कौन हैं वनस्पति देव, जिनकी ब्रह्मा जी के केशों से हुई थी उत्पत्ति

पुराणों में हमें देवी-देवताओं का उल्लेख मिलता है और लाखों देवी-देवताओं के बारे में विस्तार से पुराणों में जानकारी दी गई है। अनल देव, वायु देव, सोम देव आदि को देवताओं का स्थान शास्त्रों में दिया गया है। इसी प्रकार से वनस्पतियों को भी पुराणों में देवता कहा गया है। पुराणों के अनुसार दस विश्व देव हैं। जिनमें से वनस्पतिदेव एक हैं। वनस्पति देव वृक्ष, पौधों, लताओं, फल, फूल, सब्जी, कंद-मूल, औषधियां, जड़ी-बूटी, मसाले, अनाज, जल आदि सभी का निर्वहन करते हैं और इनमें इनका वास होता है।

शास्त्रों में वनस्पति देव का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इनकी उत्पत्ति ब्रह्मा जी द्वारा की गई थी। ब्रह्मा जी के केशों से वनस्पति देव की उत्पत्ति हुई थी। जिसकी वजह से इन्हें हिरण्यगर्भा ब्रह्म कहा जाता है। हिंदू सनातन धर्म के चार वेद हैं जिनमें से ऋग्वेद और सामवेद में वनस्पति देव का उल्लेख मिलता है। वनस्पति देव वृक्ष, पौधों, लताओं की रक्षा करते हैं और जो लोग भी पेड़-पौधों का अनादर करते हैं। उन्हें वनस्पति देव दंड देते हैं। वहीं जो लोग पेड़ों की पूजा करते हैं। उनपर वनस्पति देव की कृपा बन जाती है।

वनस्पति देव सभी वनस्पतियों की रक्षा करते हैं। लेकिन जो लोग सूर्यास्त के बाद, ग्रहणकाल में वनस्पतियों को छूते हैं। उन्हें पाप लग जाता है। इसी प्रकार से जो लोग वनस्पति को तोड़ते हैं व इनका अपमान करते हैं। उन्हें वनस्पति देव दंड देते हैं।

वनस्पति देव को इस तरह से करें प्रसन्न

  • वनस्पति देव को प्रसन्न करना बेहद ही सरल है। जो लोग पेड़-पौधों की पूजा करते हैं और इन्हें जल अर्पित करते हैं। उनपर वनस्पति देव की कृपा बन जाती है।
  • तुलसी, पीपल, बबूल के पेड़ की पूजा करने से भी वनस्पति की कृपा बन जाती है।

  • नियमित रूप से जो लोग पेड़ पौधे लगाते हैं। उनपर भी वनस्पति देव सदा मेहरबान रहते हैं।

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